जीवनी/आत्मकथा >> हृदयरोग से मुक्ति हृदयरोग से मुक्तिअभय बंग
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मैंने हृदयरोग का उपचार करने के बजाय हृदयरोग ने ही कैसे मेरा उपचार किया? डॉ. अभय भंग के स्वयं के अनुभव
डॉ. अभय बंग मेडिसिन शाखा के एम. डी. और अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के एम. पी. एच. शिक्षित हैं। विश्वविद्यालयों में सर्वप्रथम स्थान और कई स्वर्णपदकों के साथ पढ़ाई पूरी करने पर अपनी डॉक्टर पत्नी के साथ महाराष्ट्र के गड़चिरौली नामक आदिवासी इलाके में स्वयंप्रेरणा से जाकर रहे और पिछले पच्चीस वर्षों से वहाँ स्वास्थ्य सेवा कर रहे हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में विश्वख्याति के शोधकर्ता हैं। कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित तथा टाईम नियतकालिक द्वारा 2005 में चुने गये ग्लोबल हीरो ऑफ हेल्थ हैं।
चवालीस साल की उम्र में उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा।
उन्हीं के शब्द हैं! ... यह दिल का दौरा क्या सचमुच ही अचानक हुआ? वर्षों से वह मुझे रोज ही हो रहा था, सिर्फ मुझे एक दिन अचानक ध्यान में आया? मृत्यु का करीब से दर्शन होने पर मुझ पर क्या असर हुआ? मेरे हृदयरोग का क्या कारण मुझे ध्यान में आया? हृदयरोग से बाहर आने के लिए मैंने क्या किया? मैंने हृदयरोग का उपचार करने के बजाय हृदयरोग ने ही कैसे मेरा उपचार किया?
यह कहानी पहले मराठी में प्रकाशित हुई और इसने पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया। लाखों लोगों ने इसे पढ़ा, औरों को पढ़ने के लिए दिया। हृदयरोग विशेषज्ञ अपने मरीजों को दवाई देने के साथ किताब पढ़ने की सलाह देने लगे। जगह-जगह पर इस किताब का सामुदायिक वाचन किया गया। कहा जाता है कि महाराष्ट्र के मध्यम वर्ग की जीवनशैली पर इस किताब का गहरा असर हुआ।
और,
....इस कहानी का अन्त अभी नहीं हुआ है। आज भी हर रोज कुछ नया घटित हो रहा है।
साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त सफलतम मराठी किताब का हिन्दी अनुवाद।
चवालीस साल की उम्र में उन्हें अचानक दिल का दौरा पड़ा।
उन्हीं के शब्द हैं! ... यह दिल का दौरा क्या सचमुच ही अचानक हुआ? वर्षों से वह मुझे रोज ही हो रहा था, सिर्फ मुझे एक दिन अचानक ध्यान में आया? मृत्यु का करीब से दर्शन होने पर मुझ पर क्या असर हुआ? मेरे हृदयरोग का क्या कारण मुझे ध्यान में आया? हृदयरोग से बाहर आने के लिए मैंने क्या किया? मैंने हृदयरोग का उपचार करने के बजाय हृदयरोग ने ही कैसे मेरा उपचार किया?
यह कहानी पहले मराठी में प्रकाशित हुई और इसने पूरे महाराष्ट्र को हिला दिया। लाखों लोगों ने इसे पढ़ा, औरों को पढ़ने के लिए दिया। हृदयरोग विशेषज्ञ अपने मरीजों को दवाई देने के साथ किताब पढ़ने की सलाह देने लगे। जगह-जगह पर इस किताब का सामुदायिक वाचन किया गया। कहा जाता है कि महाराष्ट्र के मध्यम वर्ग की जीवनशैली पर इस किताब का गहरा असर हुआ।
और,
....इस कहानी का अन्त अभी नहीं हुआ है। आज भी हर रोज कुछ नया घटित हो रहा है।
साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त सफलतम मराठी किताब का हिन्दी अनुवाद।
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